Thursday, March 2

Pm Modi के स्वच्छ भारत का ऐसे बनाया जा रहा है मज़ाक

Pm Modi के स्वच्छ भारत का ऐसे बनाया जा रहा है मज़ाक
लोगों ने स्वच्छ भारत अभियान के शौचालयों में खोेले किराना दुकान तो किसी ने बनाया किचन|
तस्वीरें मध्यप्रदेश के अलग-अलग इलाकों की है....जहां लोग Swachh Bharat Abhiyan का मज़ाक बना रहे है।
छतरपुर में लोगों ने Swachh Bharat Abhiyan के तहत बने शौचालयों में किराना की दुकान खोल ली है तो किसी ने शौचालय को ही किचन बना लिया है। वहीं सीहोर में खुले में शौच करते पाए जाने पर युवक को सरेआम सज़ा दी गई।

Must Watch- ये वीडियो आपको शर्म से पानी-पानी कर देगा | 


आपके सुझाव और राय के लिए धन्यवाद...

Tuesday, September 20

गीत- स्वच्छ भारत अभियान


स्वच्छ भारत हो मिशन हमारा
गांव-गांव पहुंचाना है...
बाहर कोई शौच न जाएं
जाकर ये समझाना है...


अंतरा...
स्वच्छ-सुंदर हो गांव हमारे...
हरे-भरे हो वृक्ष पियारे (प्यारे)
सरोवरों में कमल खिलेंगे 
बंसी बजायेंगे कृष्ण सांवरे
स्वस्थ समाज का हो निर्माण
गीत ये सबको गाना है....
स्वच्छ भारत हो मिशन हमारा
गांव-गांव पहुंचाना है...  (1)

घर मुहल्लों को साफ़ करें
सृष्टि संग इंसाफ़ करें
वातावरण ये दूषित ना होगा
ऐसा हम अभ्यास करें
विश्व की नजरों में हमको
अपना स्थान बनाना है
स्वच्छ भारत हो मिशन हमारा
गांव-गांव पहुंचाना है...  (2)

खुले में शौच से फैले गंदगी
बीमारियों से घिरे जिंदगी 
इस व्याधि का समूल हो नाश
स्वच्छता से सब करें बंदगी
धनलक्ष्मी को घर लाने हेतु
आदत ये अपनाना है
स्वच्छ भारत हो मिशन हमारा
गांव-गांव पहुंचाना है...  (3)

स्वच्छ भारत हो मिशन हमारा
गांव-गांव पहुंचाना है...
बाहर कोई शौच न जाएं
जाकर ये समझाना है...
    लेखक – सुनील राउत

Friday, June 3

बहुत उदास होता हूँ तो घर याद आता है

मां की गोदी में अपना सर याद आता है
बहुत उदास होता हूँ तो घर याद आता है

शहरों की गलियों में दौड़कर थक चुका हूं
अब गाँव का वो बूढ़ा शजर याद आता है

लंबे अरसे से सोया नहीं हूं, नींद चैन की
तेरी थपकी, मीठी लोरी, बिस्तर याद आता है

बेशक घूमी दुनिया मैंने, देख लिया संसार 
उंगली थामे मेले वाला, सफर याद आता है

मेरी कामयाबियों पर जब जमाना डोलता है
तुम्हारी नेमतों का वो असर याद आता है
                   @ सुनील राउत


Tuesday, March 29

मेरी आंखें अब उजाले से कतराती, डरती हैं


बनाकर तकिया हाथ का फुटपाथ पे सोया था
जो कल तक गणतंत्र के उल्लास में खोया था
मेरी आंखें अब उजाले से डरती, कतराती हैं
इन्हीं आंखों में मैंने कल का खाब पिरोया था
                 सुनील

ये अख़बार अम्न में ज़हर घोलते हैं...

वो पूछता है जाति, धरम बोलता है
ये अख़बार अम्न में ज़हर घोलता है

बच सकों तो बचों ख़बरों के सौदागर से
ये सिक्कों के भार से लाशें तौलता है

धर्म से हिंदू होना क्या ख़ता है हमारी
ये सियासत देखकर ख़ून ख़ौलता है

कुछ इज़ाफ़ा हो गया है मेरी अक़्ल में
मैं जानता हूं दरबार में सच डोलता है

मत भूल कि उसी के हाथ है तेरी ताक़त
वो आसानी से दुनिया की गिरह खोलता है
                  सुनील राऊत   

Thursday, March 24

तो समझ लेना कि होली है...

भूलकर सारी पीड़ा को, हिलोरे ले रहा हो मन 
पंख मन को लगे हो जब, जमीं पर ना रहे चरण
गीत मन में गूंजने बस लगे, जब आया हो फागुन
मिलन को बावरा साजन, समझ लेना कि होली है। 

टेसू के फूलों से, जब महकता हो चमन
वसन हो जाएं रंगीं, चेहरे पर हो रंग-रोगन
कभी खोलो हुलसकर आप घर का दरवाज़ा
खड़ें देहरी पे हो साजन, समझ लेना कि होली है। 

बीना तन भांग के नाचें, करें जब पांव खुद नर्तन
भूलकर सारी कश्मकश, लगे बीवी वहीं नूतन 
तरसती हो जिनके दीदार को आपकी आँखें
उसे छूने का आए क्षण, समझ लेना कि होली है। 

नैनों को बिछाएं जब राह तकती मिले समधन
पचासी पार बूढ़ों को याद आ जाए लड़कपन 
किसे पकडूं, किसे छोड़ूं जब मन में हो ये उलझन
गीत गाने लगे धड़कन, समझ लेना कि होली है। 

भले हो महंगाई, जोरों से करती रहे गर्जन 
फिर भी दिखें रंगों से सराबोर हर तन-मन
हमारी ज़िन्दगी यूं तो हैं काटोंभरा जंगल
अगर लगने लगे मधुबन, समझ लेना कि होली है। 
                          सुनील राऊत

Wednesday, March 23

सूर्यदेव को वॉट्सएप


जब फरवरी के महीने में गर्मी ने ढाया कहर
परेशान बालक ने किया वॉट्सएप भरी दोपहर
हे! प्रिय सूर्य देवता
थोड़ा बढ़ा हुआ अपना ब्राइटनेस कम कीजिए
जानलेवा गर्मी से राहत दीजिए
अभी से इतनी गर्मी जलाएंगे क्या?
मई में क्या है इरादा, निपटाएंगे क्या?
सवालों की झड़ी का सूर्यदेव ने तुरंत किया रिप्लाई
इनबॉक्स में मैसेज पाकर बालक के होठों पर हंसी आई
पर मैसेज पढ़ते ही उड़ गई चेहरे की हवाईयां
सूर्य देवता ने बतायी थी कुछ कड़वी दवाईयां
मैसेज में लिखा था- सेटिंग में जाइए
कुछ पेड़-पौधे भी लगाइए
इस काम के लिए औरों को भी जगाइए
और मेरी तपिश से राहत पाइए
पेड़-पौधे बढ़ेंगे तो कार्बनडाई ऑक्साइड घटेगी
मौसम भी होगा सुहना और गर्मी भी मिटेगी
जब पेड़-पौधे होंगे चारों ओर
तो दिल खोलकर नाचेंगे मोर
बादल भी खुलकर बरसेंगे
आप पानी के लिए फिर न तरसेंगे
बेवक्त सूखे की भी होगी छुट्टी
और सोना उगलेगी बंजर पड़ी मिट्टी
ऐ नादां इंसान
गर वक्त रहते न आई तुझे अक़ल
तो यूं ही बर्बाद होती रहेगी फसल
फागून भी लगेगा जैसे जेठ
और कश्मीर लगेगा राजस्थान ठेठ 
            सुनील राउत