Thursday, March 24

तो समझ लेना कि होली है...

भूलकर सारी पीड़ा को, हिलोरे ले रहा हो मन 
पंख मन को लगे हो जब, जमीं पर ना रहे चरण
गीत मन में गूंजने बस लगे, जब आया हो फागुन
मिलन को बावरा साजन, समझ लेना कि होली है। 

टेसू के फूलों से, जब महकता हो चमन
वसन हो जाएं रंगीं, चेहरे पर हो रंग-रोगन
कभी खोलो हुलसकर आप घर का दरवाज़ा
खड़ें देहरी पे हो साजन, समझ लेना कि होली है। 

बीना तन भांग के नाचें, करें जब पांव खुद नर्तन
भूलकर सारी कश्मकश, लगे बीवी वहीं नूतन 
तरसती हो जिनके दीदार को आपकी आँखें
उसे छूने का आए क्षण, समझ लेना कि होली है। 

नैनों को बिछाएं जब राह तकती मिले समधन
पचासी पार बूढ़ों को याद आ जाए लड़कपन 
किसे पकडूं, किसे छोड़ूं जब मन में हो ये उलझन
गीत गाने लगे धड़कन, समझ लेना कि होली है। 

भले हो महंगाई, जोरों से करती रहे गर्जन 
फिर भी दिखें रंगों से सराबोर हर तन-मन
हमारी ज़िन्दगी यूं तो हैं काटोंभरा जंगल
अगर लगने लगे मधुबन, समझ लेना कि होली है। 
                          सुनील राऊत

Wednesday, March 23

सूर्यदेव को वॉट्सएप


जब फरवरी के महीने में गर्मी ने ढाया कहर
परेशान बालक ने किया वॉट्सएप भरी दोपहर
हे! प्रिय सूर्य देवता
थोड़ा बढ़ा हुआ अपना ब्राइटनेस कम कीजिए
जानलेवा गर्मी से राहत दीजिए
अभी से इतनी गर्मी जलाएंगे क्या?
मई में क्या है इरादा, निपटाएंगे क्या?
सवालों की झड़ी का सूर्यदेव ने तुरंत किया रिप्लाई
इनबॉक्स में मैसेज पाकर बालक के होठों पर हंसी आई
पर मैसेज पढ़ते ही उड़ गई चेहरे की हवाईयां
सूर्य देवता ने बतायी थी कुछ कड़वी दवाईयां
मैसेज में लिखा था- सेटिंग में जाइए
कुछ पेड़-पौधे भी लगाइए
इस काम के लिए औरों को भी जगाइए
और मेरी तपिश से राहत पाइए
पेड़-पौधे बढ़ेंगे तो कार्बनडाई ऑक्साइड घटेगी
मौसम भी होगा सुहना और गर्मी भी मिटेगी
जब पेड़-पौधे होंगे चारों ओर
तो दिल खोलकर नाचेंगे मोर
बादल भी खुलकर बरसेंगे
आप पानी के लिए फिर न तरसेंगे
बेवक्त सूखे की भी होगी छुट्टी
और सोना उगलेगी बंजर पड़ी मिट्टी
ऐ नादां इंसान
गर वक्त रहते न आई तुझे अक़ल
तो यूं ही बर्बाद होती रहेगी फसल
फागून भी लगेगा जैसे जेठ
और कश्मीर लगेगा राजस्थान ठेठ 
            सुनील राउत