चलो
गांव चलें(2)
एक-दूसरे
की छांव बनें।।
शिक्षा
की हम अलख जगाएं
समरसता
के दीप जलाएं
वंचित-शोषित
की नाव बनें।।
चलो
गांव चलें...
स्वावलंबन
ही मंत्र एक हो
युवा
क्रांति की राह नेक हो
नवसृजन
के लिए दांव बनें।।
चलो
गांव चलें...
नारी
सशक्तिकरण ध्येय हो
वृद्धों
के लिए मन में स्नेह हो
दिव्यांगों(विकलांगों)
के हाथ-पांव बनें।।
चलो
गांव चलें...
एक-दूसरे
की छांव बनें।।
सुनील राऊत
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