Thursday, January 28

जाने दो...

ये बहारों का मौसम जाने दो
चांद सितारो का शौक़ जाने दो

दिल में धड़कते अहसास को मत दबाओ
किसी अजनबी से मुहब्बत हो जाने दो

कब तलक सहेजोगे इन पुलिंदों को
आंखों में जमे अश्क बह जाने दो

क्यों डूबे रहे ग़मे जुदाई में
छोड़कर चला गया, तो जाने दो

ज़माने के साथ चलने की तमन्ना नहीं है
कोई बात नहीं, उसे अकेले ही जाने दो

उसके दावों में नहीं रहा अब वो यकीं
उसकी बातों को उसी के साथ जान दो

जिसको पाला था अपना लहू पिलाकर
मक्कार निकला वो क्या करें, जाने दो

क्या वहीं पुरानी बातें ले बैठे हो
कुछ तो नया बताओ, बीता जाने दो
                          सुनील राऊत

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