Friday, January 29

उसके सवालों को अपने जवाबों से उलझाता हूं...

उसके सवालों को अपने जवाबों से उलझाता हूं
वो कहे तो दिन को रात, रात को दिन कहता हूं

उसे भी मालूम है इस फरेब की हक़ीक़त
वो हां कहती है, तो मैं ना कहता हूं

कैसे समझाऊं उसे ये रिश्ता नहीं है मुमकिन
वो सलाम करती है मैं राम-राम कहता हूं

मलाल-ए-दिल तो इस बात का है कि
इस तंग ख़याली को ही मुक़द्दर कहता हूं

लालच में कितना गिर चुका है इंसान
फ़ायदे के लिए गधे को भी बाप कहता हूं

सुनील राउत

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