वफ़ा
के लिए वफ़ादार चाहिए
मुझको
अब तू हरबार चाहिए
कनारे कश्ती आ ही जाएगी
नर्गिस
में वो इंतज़ार चाहिए
जिंदगी
का सौदा कर आया हूं
ऐ
मौत तेरा इकरार चाहिए
यूं
ही शोहरत हासिल नहीं होती
ज़माने
में दुश्मन बे-शुमार चाहिए
आसमां
से आ जाएगा माहताब
दिल मिलने को बे-करार
चाहिएसुनील राऊत
No comments:
Post a Comment