Friday, February 5

अभी मत पिलाओ मुझे होश में आना है


अभी मत पिलाओ मुझे होश में आना है
बेसुध इस ज़माने को होश में लाना है

ऐ चांद तू सैय्यारे के सिवा है क्या
तारीफ़ के लिए ज़मीं पे ही आना है

इक दिन चांद पे जाकर तू इतराता है
हमारा तो वहां रोज़ का आना-जाना है

यहां तो सब होश में आ रहे हैं नज़र
लानत है, ये क्या ख़ाक मयखाना है

करने रोशन दिए जलाए मैंने ये जहां 
ये सच नहीं है, झूठा ताना-बाना है

अंगुली काट शहीदों में नाम लिखा आए
बेगैरती का ये बड़ा अच्छा अफ़साना है

'सुनील' तुम बड़े अच्छे शायर हो यार
ये मेरी तारीफ है या कसा हुआ ताना है  

                  सुनील राऊत

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