ईमान की दुकानें सज रही हैं,
वफ़ा बाज़ारों में बिक रही है
सरोकार सस्ते हो गए हैं सियासी दुनिया में
लोग अब बेवजह बिक रहे हैं।
सुनील राऊत
नाउम्मीदी के अंधेरों में, भरोसे का भरम छोड़ दे
दगा के दरख्त पनपने लगे हैं दोस्ती की दीवारों के बीच
सुनील राऊत
एक नाम की चाह में बदनाम हो गए
तमन्ना थी मशहूरी, ग़ुमनाम हो गए
भीड़ का बादशाही का दौर गुज़र गया
अब क़िस्सों-कहानी के किरदार हो गए
सुनील राऊत
वफ़ा बाज़ारों में बिक रही है
सरोकार सस्ते हो गए हैं सियासी दुनिया में
लोग अब बेवजह बिक रहे हैं।
सुनील राऊत
नाउम्मीदी के अंधेरों में, भरोसे का भरम छोड़ दे
दगा के दरख्त पनपने लगे हैं दोस्ती की दीवारों के बीच
सुनील राऊत
एक नाम की चाह में बदनाम हो गए
तमन्ना थी मशहूरी, ग़ुमनाम हो गए
भीड़ का बादशाही का दौर गुज़र गया
अब क़िस्सों-कहानी के किरदार हो गए
सुनील राऊत
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