Thursday, January 7

व्यापम घोटाले पर एक कविता- मामा किस-किस से मांगेंगे माफी ?

देश का दिल देखने वालों का दिल इन दिनों बैठा जा रहा है
न जाने कौन सा लाइलाज मर्ज मौत बांट रहा है

नेताजी की नातिन, बाबू का बेटा, साहबज़ादा
सबने बांट लिया है ज्यादा-ज्यादा

इस बंदरबाट में जिनका हुआ नुकसान
उनके लिए इस 'पाप' को भूल पाना नहीं है आसान

पूंजी के सहारे मूढ़ों ने किया कमाल
बेरोजगार ही मर रहे हैं ग़रीबों के लाल

मौतौं की माला पर मंत्री जी ने शाश्वत सत्य गान गाया है
किसी नेता को इस कांड पर अफसोस नहीं आया है

कांड की गुत्थी सुलझाने अब सीबीआई को बुलाया है
लंबे वक्त बाद मुखिया मामा ने खुद को राहत में पाया है

राहत मगर न मिल पाई उन काबिल नौजवानों को
रात-दिन एक कर जो पाल रहे थे अरमानों को

लाखों अरमानों का क़त्ल किया है नेता, अफसर, दलालों ने
भ्रष्ट व्यवस्था को जन्म दिया है उनकी नापाक चालों ने

भले आप हो सच्चे फिर भी हैं अब शक की नज़रों में
नहीं बची है अब प्रशंसा मानस के अधरों में

तुमने लूटा, सबने लूटा, लूट लिया नवपीढ़ी को
सपनें टूटें, कुचल दिया अरमानों की सीढ़ी को

हर देहरी पर लूट मची है, मचा रखी है काफी
'मामा' किस-किस से मांगेंगे माफी, किस-किस से माफी
                                               सुनील राऊत

 

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