Thursday, January 7

नववर्ष ऐसा हो...

खुशियां बांटें, उमंगों के गीत गाएं
इस नववर्ष,
अपनों को अपना बनाएं

मदद का हाथ बढ़ाएं
बाहें खोलें
आओ दिल से दिल मिलाएं
मज़हब की दीवारों को फांदकर
इस नववर्ष,
इंसां को इंसान बनाएं

ऊंच-नीच का तिमिर मिटाएं
स्नेह की लौ से
समता का दिया जलाएं
भूल कटुता, घृणा की राजनीति
इस नववर्ष,
एक नया जहां बनाएं

नारी को औरत ना समझें
सम्मान दें
मां, बहन, बेटी बनाएं
मन के रावण का वध करके
इस नववर्ष,
मर्यादा पुरुषोत्तम बनें

सिले होठों को फिर से खोलें
खुलकर बोलें
मन-मस्तिक्ष पर जमी काई हटाएं
ट्विटर, एसएमएस, वाट्सएप्प छोड़ें
इस नववर्ष,
दिल से दिल के तार मिलाएं

बदला त्यागकर बदलाव लाएं
पुरातन सोच में
आधुनिकता का तड़का लगाएं
इंग्लिश-नवसंवत्सर का बैर भुलाकर
इस नववर्ष,
पूरब-पश्चिम का मेल कराएं

खुशियां बांटें, उमंगों के गीत गाएं
इस नववर्ष,
अपनों को अपना बनाएं
                        सुनील  राऊत












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